Thursday, March 21, 2019

कौन किस परिस्थिति में है शायद हम नहीं समझ पायें


बरसात के दिन आनेवाले थे एक चिड़िया अपने बच्चों के साथ आश्रय बनाने के लिये नदी किनारे गयी। वहाँ दो पेड़ थे, उसने एक पेड़ से कहा, "बरसात से बचने के लिये मैं और मेरे बच्चे तुम्हारी डाल पर अपना घौंसला बना लें ?" पेड़ कभी किसी को भी आश्रय देने से मना नहीं करते किन्तु उस पेड़ ने बड़ी ही बेरुखी के साथ चिड़िया को इन्कार कर दिया। चिड़िया फिर वहीं दूसरे पेड़ के पास गयी तो उस पेड़ ने चिड़िया को अपना आश्रय बनाने की अनुमति दे दी।

बरसात के दिन आरम्भ हुए एक दिन तेज बर्षा आयी उस बर्षा को पहला पेड़ झेल नहीं पाया और उखड़कर नदी में बह गया। पेड़ को बहता देखकर चिड़िया बोली, "ऐ पेड़, एक दिन मैं तुमसे आश्रय माँगने आयी थी परन्तु तुमने बड़ी ही बेरूखी से मना कर दिया था, तुम्हारी उसी बेरूखी की सजा आज भगवान् ने तुम्हें दी है जो तुम नदी में बहे जा रहे हो।" पेड़ ने बड़े ही शान्त भाव से उत्तर दिया, "मैं जानता था मेरी जड़ें कमजोर हैं, और इस बारिश में टिक नहीं पाऊँगा, मैं तुम्हारी और बच्चे की जान खतरे में नहीं डालना चाहता था, इसलिये तुम्हें सख्ती से मना करना पड़ा। मना करने के लिए मुझे क्षमा कर दो, और ये कहते-कहते पेड़ बह गया।

किसी के इंकार को हमेशा उनकी कठोरता न समझें। क्या पता उसके उसी इंकार से आप का भला हो, कौन किस परिस्थिति में है शायद हम नहीं समझ पायें, इसलिए किसी के चरित्र और शैली को उनके वर्तमान व्यवहार से ना तौलें।
============ Unknown ============